Sadhana Shahi

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अपने से दूरी (कहानी) प्रतियोगिता हेतु-14-Jun-2024

अपनों से दूर (कहानी) प्रतियोगिता हेतु

शालिनी बचपन से ही बड़ी ही मेधावी और बहुमुखी प्रतिभा की धनी बच्ची थी।वह एक कुशल डॉक्टर बनना चाहती थी अतः प्रारंभ से ही बहुत मन लगाकर पढ़ती थी।

उसने 96% से दसवीं की परीक्षा पास कर 11वीं में जीव विज्ञान विषय लिया और उसी के साथ पी.एम. टी की तैयारी भी करने लगी। उसने 12वीं के साथ जब पी.एम.टी दिया तब उसके अच्छे अंक नहीं आ पाए अतः वह दोबारा तैयारी करने के लिए दूसरे शहर में चली गई और वहांँ के जाने-माने प्रतिष्ठान से वह पी.एम.टी की तैयारी शुरू की।

इस बार उसने पीएमटी निकाल लिया और और उसे आगे की पढ़ाई के लिए दक्षिण भारत जाना पड़ा। 6 साल की अथक परिश्रम के पश्चात फाइनली वह डॉक्टर बन चुकी थी। अपना भविष्य सुनहरा करने हेतु वह बड़े शहर में ही अपना क्लीनिक खोली और एक डॉक्टर के रूप में उसने बहुत पैसे, इज़्ज़त, शोहरत कमाया तथा बहुत सारे लोगों की सेवा भी की।

यह सब करते-करते उसकी शादी की उम्र हो गई अतः उसके माता माता-पिता ने बड़े ही धूम-धाम से उसकी शादी कर दी और वह अपने बाबुल के घर से अपने पी के घर चली गई। वहांँ जाने के 15 दिन पश्चात थी उसने अपने क्लीनिक जाने की इच्छा जताई। उसकी सासू मांँ तो नहीं चाहती थी की नई- नवेली दुल्हन अभी 15 दिन पश्चात ही अपनों से दूर जाए किंतु उसके पति उसके सपने, उसकी इच्छाओं से वाक़िफ थे अत उन्होंने अपनी मांँ को समझा- बुझाकर अनुमति दिला दिया।

वह दूसरे शहर में जाकर अपने क्लीनिक को पहले की भांँति सुचारू रूप से चलाने लगी। कुछ दिनों के पश्चात उसके पति भी इस शहर में आकर बस गये। कुछ दिनों पश्चात शालिनी गर्भवती हुई, शालिनी की सास भी गाँव शहर में आकर 1 साल तक रुकीँ शालिनी को बच्चा हुआ जब बच्चा 3 महीने का हो गया तब शालिनी की सास गांँव वापस चली गईं। क्योंकि, वहांँ भी उसके ससुर अकेले थे। अब शहर में शालिनी उसका पति और उसका बच्चा बच गया।

शालिनी अपने बच्चे की देख-रेख के लिए शीला बाई को रख ली। शीला बाई बच्चे की देख-रेख इतने प्यार से करतीं कि वो उसकी दूसरी मांँ बन गईं। शीला का बच्चे के प्रति प्यार-दुलार व ज़िम्मेदारी को देखकर माता-पिता दोनों निश्चित हो गए और दोनों अपनी-अपने काम में लीन रहने लगे।

अब शालिनी और उसका पति दोनों घर- परिवार और बच्चे की तरफ़ से अपना ध्यान हटाकर अपना पूरा ध्यान सिर्फ़ अपने करियर को चमकाने में लगा दिये, और हर दिन बड़ी-बड़ी ऊँचाइयों को छूने लगे किंतु इन ऊंँचाइयों को छूने में उनका बच्चा उनसे कब दूर हो गया इस बात का उन्हें आभास ही नहीं हुआ।

अपने माता-पिता के प्यार से महरूम बच्चा कुछ विक्षिप्त सा रहने लगा।वह बहुत ज़िद्दी होने लगा। वह उटपटांग चीजों की ज़िद्द करता और जब शीला उसके ज़िद्द को पूरा नहीं कर पाती तो उसे कुछ भी चलाकर मार देता, दांँत काट लेता उसे नोचने लगता। जब पानी सर से ऊपर होने लगा तब उसने एक दिन शालिनी से कहा मैम आप दिन की ड्यूटी करिए रात की ड्यूटी मत करिए रात की ड्यूटी करने से मुझे बहुत दिक्कत होती है। किंतु शालिनी के ऊपर तो एक बहुत बड़ा डॉक्टर बनने का जुनून सवार था। अतः वह शीला की बातों में कोई इंट्रेस्ट नहीं ली। इधर शालिनी एक बड़े डॉक्टर और उसका पति एक बड़े इंजीनियर के रूप में प्रतिष्ठित हो रहे थे तो दूसरी तरफ़ उनका बच्चा बहुत ही ज़िद्दी,और अजीबो गरीब हरकतें करने वाला बच्चा बनता जा रहा।

एक दिन रात को जब शालिनी ड्यूटी चली गई और उसके पति भी खाना-पीना खाकर सो गए तभी बच्चा उठा और शीला से किसी चीज की मांँग करने लगा जिसे वह समझ नहीं पा रही थी। जिस कारण वह चिढ़ गया और वह शीला को पूरे शरीर में दांँत काटकर निशान बना दिया।

सुबह शालिनी जब ड्यूटी से घर आई और शीला की स्थिति को देखी तो बहुत घबरा गई। वह शीला से सारा हाल पूछने लगी,तब शीला ने बताया मैं तो बहुत दिनों से कह रही हूंँ कि आप रात को ड्यूटी मत करिए अपने बच्चे को देखिए लेकिन आप सुन ही नहीं रही थीं, बाबा अक्सर इसी तरह करते हैं, कल पता नहीं क्या हुआ बहुत ज़्यादा ही गुस्सा हो गए,बिल्कुल काबू में ही नहीं आ रहे थे। स्थिति को गंभीर होते हुए देखकर शालिनी अपने बच्चे को लेकर एक कुशल बाल रोग विशेषज्ञ के पास गई डॉक्टर ने जब बच्चे की हरकतों के बारे में सुना तब उसने शालिनी को अपने बच्चों को एक कुशल मनोचिकित्सक को दिखाने की सलाह दिया।

अब शालिनी अपने बच्चे को लेकर एक कुशल मनोचिकित्सक के पास गई। मनोचिकित्सक ने बड़ी ही गंभीरता से स्थिति का जायजा लेने के पश्चात यह बताया कि अपनों से दूर रहने के कारण बच्चा अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है उसे डर रहता है कि कामवाली बाई भी कहीं उसकी मांँ की तरह उसे छोड़कर दूर न चली जाए इसलिए वह सदैव इसे पड़कर रहना चाहता हैऔर जब आया अपने कामों को करने के लिए इसे कमरे में अकेला छोड़कर दूसरे कमरे में चली जाती है तब यहअपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगता हैं और इस तरह की मार-पीट वाली हरकत करने लगता है।

डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी समस्याएं आमतौर पर युवाओं में देखने को मिलती है। परंतु अब यह समस्या धीरे-धीरे कम उम्र के बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में लेती जा रही है।

इसे समय रहते नियंत्रित करना बहुत ज़रूरी है, अन्यथा बाद में यह कई अन्य मानसिक परेशानियों का कारण बन सकता है। चिकित्सक ने बताया कि यह एक प्रकार का डिप्रेशन, एंग्जाइटी है इसे नियंत्रित करने के लिए दवाइयों से अधिक अपनों के प्यार, दुलार और साथ की ज़रूरत है। इसके दिनचर्या में कुछ ज़रूरी बदलाव लाकर, माता-पिता उसके हिस्से का प्यार, दुलार और साथ उसे देकर, उसके साथ समय बिताकर उसे ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।

आज दिन घरों में माता-पिता दोनों कामकाजी हैं उन्हें चाहिए कि आप अपने काम में चाहे जितने भी व्यस्त हों किंतु घंटा, दो घंटा अपने बच्चे के साथ समय बिताने का प्रयास करें। साथ ही उसकी हॉबी जैसे - पेंटिंग, डांसिंग, पोएट्री, किताबें पढ़ना इत्यादि को उसकी दिनचर्या में शामिल करें। आप सदैव उसके पास और उसके साथ होने का उसे एहसास दिलाते रहें।

बच्चों के साथ कुछ समय प्रकृति के बीच बिताएंँ।सुबह या शाम किसी भी वक्त बच्चे के साथ टहलने जाएंँ, उसकी बातों को सुनें उसके पसंद नापसंद के बारे में जानें।

कुल मिलाकर सार रूप में यही कहा जा सकता है कि अपने बच्चे के साथ समय बिताएँ उसे जानें, समझें उसके अंदर बैठा हुआ अपनों से दूरी के डर को मिटाएँ यदि आप यह सब कर सकें तो बहुत ही जल्द आपको बच्चे में सुधार देखने को मिल सकता है।

आज कभी माता-पिता तो कभी बच्चे अपने अति महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने हेतु अपने घर-परिवार को छोड़कर बहुत दूर चले जाते हैं। वहांँ उनकी ज़िंदगी मे ऐश्वर्य हेतु पैसा कमाने से अधिक किसी भी चीज के लिए समय नहीं बचता। हम अपने परिवार से इतनी दूरी बना लेते हैं कि हमें कभी उनकी याद ही नहीं आती। फिर बहुत जल्द ज़िंदगी में वह समय आता है जब हमें मान, सम्मान, इज्जत, मर्यादा, प्रसिद्धि सब कुछ मिल जाती है और उसी के साथ अपनों से एक बहुत बड़ी दूरी बन जाती है जिस दूरी की वज़ह से हम सब कुछ पाकर भी आत्मिक संतुष्टि नहीं पाते,वास्तविक खुशी नहीं पा पाते हैं और डिप्रैशन, एंग्जायटी जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।

अतः आज आवश्यकता है कि जीवन जीने के लिए, अपने मुकाम को हासिल करने के लिए हम शरीर से चाहे जितने दूर हो जाएँ किंतु भावनात्मक रूप से कभी भीअपनों से दूरी नहीं बनाएँ। क्योंकि अपनों से दूरी हमें कभी भी खुशहाल नहीं रहने देती

साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

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3 Comments

Babita patel

03-Jul-2024 08:44 AM

👍👍👍

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Anjali korde

16-Jun-2024 11:45 PM

V nice

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shweta soni

15-Jun-2024 01:24 PM

👌👌

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